लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सौंदर्या का अवतरण का चौथा भाग भाग 5, भाग-6 भाग 7 रक्षा का भारत आना ८भाग २१भ

४८- मिलेगी खुशखबरी

ऑफिस पहुंचते ही दीपक सीधे बॉस के केबिन में गया, मॉर्निंग बोल कर उसने अस्पताल में हुई बातचीत को बॉस को बताया, कि सर इसी वजह से मैं लेट हो गया। सॉरी सर कोशिश करूंगा कि आगे से ऐसा ना हो। आप जानते हैं, मेरी वाइफ बच्चे के लिए कितना परेशान है। मैं यह सब उसी के लिए कर रहा हूं भगवान उसकी प्रार्थना सुन ले तो मेरा भी तनाव कम हो। बॉस ने पूछा... डॉक्टर ने क्या कहा? दीपक ने बताया कि डॉक्टर ने कहा है, कि कुछ दवा इलाज करना पड़ेगा समय लगेगा फिर रानी मां बन सकती हैं। डॉक्टर साहब की यह बात कि रानी मां बन सकती है, सुनकर मेरे दिल को बड़ी तसल्ली हुई है, बाकी का इलाज और दवा जो भी होगा वह तो मैं कराऊंगा ही, बस चाहत तो एक ही है कि रानी मां बन जाए।बॉस ने कहा.... परेशान मत हो अगर डॉक्टर ने कहा है, तो रानी मां जरूर बनेगी तुम्हारी मनोकामना पूरी जरूर होगी। घबराने की जरूरत नहीं है, बस वह कहते हैं वैसे करते जाओ ठीक है, बहुत लेट हो गया है, जाओ जाकर अपना काम देखो कल भी छुट्टी पर थे। तो काफी काम पेंडिंग पड़ा हुआ है। दीपक ने बॉस को धन्यवाद दिया और उठकर अपने केबिन में चला गया इनमें जाकर दीपक ने अपना काम देखा कि क्या कैसे करना है कौन सा काम ऐसा है जैसे हमें पहले करना है दीपक ने फटाफट सारे काम को अरेंज किये और शाम तक सारा काम खत्म करके बॉस को खुश कर दिया क्योंकि अगले दिन भी उसे डॉक्टर के यहां जाना था, तो यह तो निश्चित ही है कि वहां उसको समय लगेगा फिर से उसको बोलना ही पड़ेगा। लेकिन उसने अपना काम करके उसको खुश कर दिया है तो आप भी समय दे देंगे। दीपक बॉस के कमरे में गया और उसने जाकर कल डॉक्टर क्या जाने वाली बात बताई कहां सर शायद देर हो सकती है कल रानी को लेकर डॉक्टर क्या जाना है तो प्लीज बॉस ने कहा.... हां हां ठीक है ठीक है जाओ, बस कोशिश करना जल्दी आने की दीपक सर को थैंक यू बोला और वह केबिन के बाहर निकल आया।

शाम का समय हो चुका था, ऑफिस बंद होने का टाइम हो गया था। दीपक ने अपना बैग उठाया और ऑफिस के बाहर निकलने लगा। घर जाने से पहले उसमें श्रवन को फोन किया।  और श्रवन को श्रेया और सौंदर्या के साथ घर पर आने के लिए कहा-  श्रवन ने पूछा -क्या हुआ है, दीपक ने बोला- कि आप श्रेया को लेकर घर पहुंचे। मैं घर पहुंचता हूं। दीपक बहुत खुश लग रहा था। श्रवन को ज्यादा कुछ तो समझ में नहीं आया, लेकिन हां यह लगा कि दीपक आज खुश है। डॉक्टर के यहां से आया हैं, हो सकता है, कुछ सकारात्मक उत्तर मिला होगा। इसलिए खुश होगा, श्रवन मन ही मन यह सोच रहा था, और फोन पर उसने दीपक से कहा- ठीक है, मैं पहुंचता हूं तुम भी घर पहुंचो। श्रवन घर पर ही था। उसने श्रेया से कहा- कि दीपक का इस तरह से फोन आया है। दीपक बहुत खुश लग रहा था।उसने मुझे और तुम्हें अपने घर बुलाया है,तो बताओ चलना चाहिए। श्रवन की बात सुनकर श्रेया ने कहा- इसमें सोचना क्या है, अगर उन्होंने बुलाया है तो चलना ही पड़ेगा। तो तुरंत उठो और तैयार हो जाओ। हम दीपक और रानी के घर चलते हैं। श्रेया ने हां में सहमति देकर तैयार होना शुरू किया। थोड़ी देर में श्रेया तैयार होकर आ गई, उसने सौंदर्या को भी तैयार किया। श्रेया सौंदर्या और श्रवन तीनों दीपक  के घर की ओर चल पड़े।

श्रवन में कहा- हमारी सौंदर्या तो आज किसी के घर जाने के लिए पहली बार घर से निकली है। पहली बार ही घर से बाहर कदम उसमें निकाला है। और वह भी दीपक और रानी के घर जा रही है। तो निश्चित है कि अब दीपक और रानी के घर में भी संतान का आगमन हो जाएगा। हमारी सौंदर्या का प्रथम कदम जो उनके घर में पढ़ने जा रहा है। अभी रानी को कुछ भी नहीं पता है। रानी इन सब बातों से अनजान है। कि उनके घर में कौन आ रहा है, डॉक्टर ने क्या कहा है, दीपक ने रानी के लिए सभी कुछ सरप्राइस रखा है। दीपक रानी को खुश देखना चाहता था, और यह सरप्राइज उसने इसीलिए प्लान किया है। कि वह रानी के चेहरे पर खुशी के भाव देख पाए। रानी के मुख पर पहला तो खुशी का भाव श्रवन और श्रेया को देखते ही आ जाएगा। और जैसे ही वह सौंदर्या को देखेगी खुशी से पागल हो जाएगी। उसके बाद में डॉक्टर वाली बात सुनाऊंगा, तो आज मैं रानी को बहुत खुश देखना चाहता हूं। यह सब सोचते सोचते दीपक कब घर के दरवाजे पर पहुंच गया,उसे पता भी नहीं लगा। घर के दरवाजे पर पहुंचकर उसने गाड़ी से सामान निकाला। और सामान निकाल कर उसने डोर बेल बजाई। रानी ने दरवाजा खोला और देखा कि दीपक बहुत सारा सामान लेकर आए हैं। इतना सामान देखते ही, रानी ने दीपक से पूछा-इतना सामान क्यों लाए हो। क्या कोई आ रहा है हमारे घर, दीपक ने कहा- धैर्य रखो बताता हूं, सब बताता हूं, अंदर तो आने दो, यह लो सामान पकड़ो, कहकर उसने थोड़ा सामान रानी को पकड़ा दिया।और दोनों सामान लेकर अंदर आए। सामान लाकर उन्होंने टेबल पर रख दिया। रानी को चैन नहीं पड़ रहा था। उसने फिर से पूछा- बताइए ना कोई आ रहा है हमारे घर, डॉक्टर ने क्या कहा, दोनों सवाल रानी ने एक साथ कर दिए। दीपक ने कहा- पानी बानी पिलाओगी या ऐसे ही सब पूछलोगी। सॉरी... सॉरी.... अभी पानी लेकर आती हूं। रानी जल्दी से रसोई घर में गई, और दीपक के लिए बिस्किट और पानी लेकर आई। उसने दीपक को पानी का ग्लास थमाया। दीपक पानी पीते पीते मन ही मन सोच रहा था कि श्रवन और श्रेया अब तक पहुंचे क्यों नहीं। इतने में फिर से डोर बेल बजी, रानी बोली अब कौन आया है। दीपक बोला जाओ दरवाजा खोलो देखो कौन आया।

रानी दीपक के कुछ ना बताने पर बड़ी उदास और अनमनी सी दरवाजे की ओर गई, और उसने दरवाजा खोला। दरवाजा खोलते ही रानी के मन का मैल धुल गया। वह श्रेया से लिपट गई और बहुत खुश हुई। उसमें सौंदर्या को झट से अपनी गोद में ले लिया और कहा इसीलिए दीपक मुझे परेशान कर रहे थे। बहुत पूछने पर भी बता ही नहीं रहे थे कि क्या बात है। रानी ने सवाल और सौंदर्य को अंदर आने को कहा- आइए... आइए... आइए... अंदर आइए. और सभी का खुशी से स्वागत किया। सौंदर्य में तो जैसे रानी की जान ही बसती थी। सौंदर्य को गोद में लेते ही रानी बहुत खुश हुई अंदर आकर उसने इस सरप्राइस के लिए दीपक को धन्यवाद कहा। सौंदर्या को दीपक की गोद में पकड़ाते हुए बोली। एक मिनट सौंदर्या को गोद में लो,  मैं अभी आती हूं। सौंदर्या मेरे घर में पहली बार आई है। उसके शुभ कदम मेरे घर में पड़े हैं। तो मैं उसकी आरती उतारती हूं। रानी तुरंत जाकर दीपक का थाल सजाकर लाई, और उसने श्रवन श्रेया और सौंदर्या  की आरती उतारी और सभी को टीका लगाया। आज रानी सौंदर्या को अपने घर में पाकर अपने अंतर्मन में बहुत ही ज्यादा खुश हो रही थी। उसे लग रहा था जैसे कन्या के रूप में साक्षात दुर्गा मां उसके घर में पधार गई है।और यह एक शुभ संकेत ही है जो उसके अंतर्मन को खुश कर रहा है। मन ही मन रानी दुआ मांग रही है। कि जब सौदर्या एक साल की हो, तब तक उसके घर में भी एक कन्या का अवतरण हो जाए। कहकर उसने सौंदर्या के पैरों को छुआ और माथे से लगाया। सभी लोग रानी की क्रिया को ध्यान से देख रहे थे । श्रेया ने पूछा क्या कर रही हो। रानी ने कहा- सौदर्या मेरे घर में कन्या रूप में आई है। इसलिए मैं इसका पैर पूजन कर रही हूं, इस से आशीर्वाद ले रही हूं, कि अगले साल तक मेरे घर में भी एक सौंदर्या आ जाए। सौंदर्या जब भी मेरे घर आए तो दोनों मिलकर खूब खेलें।सब लोग रानी की मनोदशा को समझ रहे थे और किंकर्तव्यविमूढ़ से कुछ न बोल पाने की स्थिति में आ गए थे। श्रेया इस स्थिति से गुजर चुकी थी। इसलिए उसे रानी को समझते देर न लगी। उसने चुप्पी को तोड़ते हुए कहा- कि सौदर्या मासी को आशीर्वाद दो। मासी के घर में भी एक और छोटी सौदर्या आ जाए। यह सुनते ही कमरे का माहौल बदल गया। और सभी ने आमीन ......बोला।

अपनी रानी से कहा अरे भाई मेहमानों के लिए कुछ पानी बानी का इंतजाम करो। रानी भावुक हो गई थी। उसने अपने आप को संभाला और उठकर रसोई घर में गई। सभी के लिए पानी और मिठाई लेकर आई उसने सभी का मुंह मीठा कराया और सभी को पानी दिया।

 पानी पीकर श्रवन ने दीपक से कहा कि अरे डॉक्टर ने क्या कहा- भाई वह तो बताओ। बताता हूं....... कहकर दीपक ने आइसक्रीम ब्रिक निकालकर रानी को दिया। और कहा-सभी के लिए प्लेट में आइसक्रीम लेकर आओ। तभी मैं कोई खुशखबरी सुनाऊंगा। रानी  फटाफट चार प्लेट लेकर आई और उसने आइसक्रीम ब्रिक को काटकर सभी के लिए शेयर किया। और सभी को प्लेट पकड़ा दी। रानी को संतोष नहीं हो रहा था, कि दीपक क्या बताने वाले हैं। श्रवन ने कहा- अब बताओ भी........

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2 Comments

Khushbu

05-Oct-2022 02:59 PM

Nice

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Bahut khoob 💐👍

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